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अनकही

दिलमे जो बात थी,
जुबान पर न आ सकी,
जुबान कुछ कहना चाहे
तो ओठोंसे बात निकल न आयी

मगर कम्बख्त, न जाने कैसे,
दो बून्द जो आखों से निकले,
और बात चुपके से निकल पड़ी।