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गुमशुदा

ये कदम रुके रुकेसे, ये दिलमें दर्द भरा है
यादें हमें बुलाती है ,चल अपनों के पासमें।

सोचा था दूर चलकर इस दिलको बसा दू
ये आसमाँ बड़ा है, ये दरिया बहुत गहरा है
कैसे कहु मैं दूर चलकर, कुछ हासील कर सका हूँ।

अब दिल भटकता है ,तन्हाई की तलाश में
रस्ते भी खो गए है और न है कोई साथ में
ये ऐसा सफर है, की न लौट सकता हु मैं
एक जित में भी कैसे, हार गया हु मैं।