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परास्त (defeated)

मैं किसीकी खोजमें

भटकता जा रहा हूँ
ऐसा न हो जिंदगी,
एक दिन खुदको ही मैं खो जाऊ।

जिंदगी बोझ बन जा रही है,
और मैं सह रहा हूँ
ऐसा न हो जिंदगी,

एक दिन,के मैं खुशियोंकोही भूल जाऊ।

मंज़िलके रास्तो पर,
मैं अकेला दूरतक चल रहा हूँ
ऐसा न हो जिंदगी,
एक दिन,मैं उम्मीदोंकोही खो जाऊ।

क्या कहे इस दिलकी दास्ताएं हम,

के जब जख्मपे जुर्म हुआ है
कैसे मांगे इंसाफ हम इस दुनियासे
जबके अपनो नेही ठुकराया है।