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पहचान

हर एक चेहेरे का
नाम होता है ।
अंजान होके भी
पहचाना सा लगता है ।

भीड मे चेहरोंकी
वो खुदकी पहचान खोता है ।
अपने ही नाम का फिर वो
गले में पहचान पत्र पहनता है |

अपने आपको पहचान ना पाए
फिर भी वो नामसे पहचाना जाता है |
नाम ही सब कुछ है ये समझकर
हर जगह अपना ’ नाम ’ लगा देता है |

काम इस धरती पर
जब ख़तम हो जाता है |
गले में पहनाते है फुलोंका हार
और गलेका पहचान पत्र
लगता है अंगूठेमें पाँव के |